Wednesday 10 July 2019

जइसे अकेल्ले में तोहर दुलार! / कवि - हरिनारायण सिंह 'हरि'

पावस गीत
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पिया रिमझिम फुहार, जइसे अकेल्ले में तोहर दुलार!

अरे, साओन के बरसा सरसावे जिया
रात आबे नऽ काहे तरसावे पिया
चाही बरसा में बालम के बहियाँ सिंगार ।
पिया रिमझिम फुहार, जइसे अकेल्ले में तोहर दुलार!

ठेहुना भर पानी आ पसरल है कादो
अखनी तऽ बचले है भर माह भादो 
आ काहे भींजइछऽ  लऽ धोती सँभार ।
पिया रिमझिम फुहार, जइसे अकेल्ले में तोहर दुलार!

घट्टा दुपट्टा में हम्मर ई मुखड़ा
केकरा से कहूं ई भित्तर के दुखड़ा
सुन जाएत गोतिया, पड़ोसी जेवार ।
पिया रिमझिम फुहार, जइसे अकेल्ले में तोहर दुलार!
...
कवि - हरिनारायण सिंह 'हरि'
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com

वर्षा का दृश्य (चित्र श्री जीतेंद्र कुमार के वाल से साभार्)

(चित्र - साभार गूगल (बरसात का मौलिक चित्र भेजिए अपने नाम के साथ - editorbejodindia@yahoo.com)


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