Friday 17 May 2019

पिया, फेसबुक में कबले हेराएल रहबऽ! / हरिनारायण सिंह 'हरि' के बज्जिका गीत और दोहा

बज्जिका गीत 



पिया, फेसबुक में कबले हेराएल रहबऽ!
आ किऽ हमरो के जियरा जुराएल करबऽ!

ई बैरिनिया मुआ मोबाइल सौतिन हमर बनल है ।
फेसबुकिया चिक्कन मउगी एकरा में बनल-ठनल है।
कहऽ,एकरे से नेहिया लगाएल करबऽ!
पिया, फेसबुक में कबले हेराएल रहबऽ!

टूटर,ऊटुब आउर कथी सब भरल -भरल मुखपोथी ।
गावे वाली,नाचेवाली,छउंरी सब मुँहचोथी ।
पियबा, एकरे में रमबऽ , भुलाएल रहबऽ! 
पिया, फेसबुक में कबले हेराएल रहबऽ!

आउर सतयबऽ,की -की करबऽ,निरदइया सइंया हो! 
छोड़ऽ ओकरा, हमरो देखऽ, परूं तोर पइंया हो! 
आ की अइसहीं तू रतिया बिताएल करबऽ !
पिया, फेसबुक में कबले हेराएल रहबऽ!
...


गरमी के दोहा

भेलइ अंत बसंत के, गरमी रितु आ गेल ।
जागे लागल भोरही, सूर्य स्वस्थ हो गेल ।१।

लत्ती, फल आ फलहरी, झुलसे लागल पेड़ ।
जेठ तबल सखि! एतना, पिया -मिलन में फेर ।२।

धरती लह-लह कर रहल, सुख्खल पोखर -ताल ।
बिनु पानी अब हो रहल,जीव-जंतु बेहाल ।३।

घट्टा के न अता-पता, निर्मल हइ आकाश ।
लोग पियासल नीर-बिन,रह-रह लगे तराश।४।

नीन न आबे रात भर, गरमी के नऽ अंत ।
हमरा असगर छोड़ कऽ, भगलन द्वारे कंत ।५।
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कवि - हरिनारायण सिंह 'हरि'
कवि  के मोबाइल - 9771984355
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com

(बायीं ओर बैठे) हरिनारायण सिंह 'हरि' प्रख्यात लघुकथाकार सतीशराज पुष्करणा के साथ 

 (दायीं ओर बैठे)  हरिनारायण सिंह 'हरि' गीतकार हृदयेश्वर के साथ