बज्जिका गीत
पिया, फेसबुक में कबले हेराएल रहबऽ!
आ किऽ हमरो के जियरा जुराएल करबऽ!
ई बैरिनिया मुआ मोबाइल सौतिन हमर बनल है ।
फेसबुकिया चिक्कन मउगी एकरा में बनल-ठनल है।
कहऽ,एकरे से नेहिया लगाएल करबऽ!
पिया, फेसबुक में कबले हेराएल रहबऽ!
टूटर,ऊटुब आउर कथी सब भरल -भरल मुखपोथी ।
गावे वाली,नाचेवाली,छउंरी सब मुँहचोथी ।
पियबा, एकरे में रमबऽ , भुलाएल रहबऽ!
पिया, फेसबुक में कबले हेराएल रहबऽ!
आउर सतयबऽ,की -की करबऽ,निरदइया सइंया हो!
छोड़ऽ ओकरा, हमरो देखऽ, परूं तोर पइंया हो!
आ की अइसहीं तू रतिया बिताएल करबऽ !
पिया, फेसबुक में कबले हेराएल रहबऽ!
...
गरमी के दोहा
भेलइ अंत बसंत के, गरमी रितु आ गेल ।
जागे लागल भोरही, सूर्य स्वस्थ हो गेल ।१।
लत्ती, फल आ फलहरी, झुलसे लागल पेड़ ।
जेठ तबल सखि! एतना, पिया -मिलन में फेर ।२।
धरती लह-लह कर रहल, सुख्खल पोखर -ताल ।
बिनु पानी अब हो रहल,जीव-जंतु बेहाल ।३।
घट्टा के न अता-पता, निर्मल हइ आकाश ।
लोग पियासल नीर-बिन,रह-रह लगे तराश।४।
नीन न आबे रात भर, गरमी के नऽ अंत ।
हमरा असगर छोड़ कऽ, भगलन द्वारे कंत ।५।
....
कवि - हरिनारायण सिंह 'हरि'
कवि के मोबाइल - 9771984355
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com
![]() |
(बायीं ओर बैठे) हरिनारायण सिंह 'हरि' प्रख्यात लघुकथाकार सतीशराज पुष्करणा के साथ |
![]() |
(दायीं ओर बैठे) हरिनारायण सिंह 'हरि' गीतकार हृदयेश्वर के साथ |
No comments:
Post a Comment